लेखनी प्रतियोगिता -17-May-2023
मुझे बस इक काम आता है, ये लफ़्ज़ों को बनाने का!
कभी कम बनाता हूँ कभी बहुत सारे बनाता हूँ।
कभी मीठे बनाता हूँ, कभी खारे बनाता हूँ!
कभी चांद तो कभी तारे बनाता हूँ।
टूटे हुए इंसानों के सहारे बनाता हूँ।
जिसने जैसा देखा वैसा पाया मुझे।
कभी समंदर तो कभी किनारे बनाता हूँ!
कभी आग जलाता हूँ कभी अंगारे बनाता हूँ।
मैं कितना भी बेरंग रहूं तेरे लिए।
कभी तितली, कभी जुगुन कभी तारे बनाता हूँ।
आपने कहा न मेरी आवाज़ से मैं नही मिलता।
तो कभी पतझड़ तो कभी बहारें बनाता हूँ।
आंखों को जिसका इंतज़ार रहे, वो खूबसूरत नजारे बनाता हूँ।
#Abhiwrites❣
Abhinav ji
18-May-2023 08:38 AM
Very nice 👍
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
18-May-2023 08:07 AM
बहुत ही सुंदर सृजन
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Reena yadav
17-May-2023 09:46 PM
👍👍
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